प्रेरणा दायक प्रसंग
राजा भोज और एक बुढ़िया की कहानी
एक समय की बात है कि राजा भोज और माघ पंडित सैर को गये थे । लौटते समय वे दोनों रास्ता भूल गये । तब वे दोनों विचार करने लगे, रास्ता भूल गये अब किससे पूछे । तब माघ पंडित ने कहा कि पास के खेत में जो बुढिया काम कर रही है उससे पूछे ।
दोनों बुढ़िया के पास गये, और कहा राम राम माँ जी । यह रास्ता कहाँ जायेगा । बुढिया ने उत्तर दिया कि यह रास्ता तो यही रहेगा इसके ऊपर चलने वाले जायेंगे । भाई तुम कौन हो बुढ़िया ने पूछा ।
बहिन हम तो पथिक है राजा भोज बोला ।
बुढ़िया बोली पथिक तो दो है एक सूरज और एक चन्द्रमा । तुम कौन से पथिक हो ।
भोज बोला हम तो राजा है ।
राजा तो दो है एक इन्द्र और एक यमराज । तुम कौन से राजा हो बुढ़िया बोली ।
बहन हम तो क्षमतावान है माघ बोला ।
क्षमतावान दो है एक पृथ्वी और दूसरी स्त्री । भाई तुम कौन हो बुढ़िया बोली ।
हम तो साधू है राजा भोज कहने लगा ।
साधू तो दो है एक तो शनि और दूसरा सन्तोष । भाई तुम कौन हो बुढ़िया बोली ।
बहिन हम तो परदेसी है दोनों बोले ।
परदेसी तो दो है एक जीव और दूसरा पे़ड़ का पात । भाई तुम कौन हो बुढ़िया बोली ।
हम तो गरीब है माघ पंडित बोला
गरीब तो दो है एक तो बकरी का जाया बकरा और दूसरी लड़की । बुढ़िया बोली ।
बहिन ऊ हम तो चतुर है माघ पंडित बोला ।
चतुर तो दो है एक अन्न और दूसरा पानी । तुम कौन हो सच बताओ ।
इस पर दोनों बोले हम कुछ भी नहीं जानते । जानकार तो तुम हो ।
तब बुढ़िया बोली कि तुम राजा भोज हो और ये पंडित माघ है । जाओ यही उज्जैन का रास्ता है
.नवीन सी दुबे
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