Tuesday, June 7, 2011

रामदेव बाबा विवाद पर बहस ....नवीन सी दुबे


रामदेव बाबा विवाद पर बहस ....नवीन सी दुबे 

किसी भी चीज की  
  
 एक हद होती हें सन्यासियों को

 या योग गुरूओ को मर्यादा भंग करने का कोई

 अधिकार नहीं हें ...
पिछले  कुछ दिनों से देखने सुनने में आ रहा था की रामदेव बाबा योग सिखाते सिखाते सरकार को कानून का पाठ या सबक सिखाने में ज्यादा लग गए थे ...
जानता का समर्थन उन्हें मिल रहा था ..जिसका मूल कारण था की  वे निस्वार्थ भावना से जानता को योग की शिक्षा दे रहे थे और उससे कई लोगों को फायदा भी हुआ ...
पर जो मोटी फीस देगा वो सबसे आगे कम वाला बीच में और सबसे कम वाला सबसे पीछे ..जेसे हमें  किसी नाटक या सर्कस में जाने पर  आगे की सीट केलिए ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हें वेसे  ही...
 जनता के अपार समर्थन और अगाध श्रद्धा के चलते हुवे एक योग शिक्षक जाने कब राष्ट्रीय संत .. महान योगी ..महान आत्मा   ..एवं परम पूज्य बनगए ये बात स्वयं रामदेव बाबा भी नहीं जानते हें..
 ...पर भोली भली जनता... 
जब लोग या संत लोभ की तरफ मुड़ जाते हें या  उन्हें उनके सलाहकार उस और ले जाते हें जहाँ उनका जाना  उचित नहीं होता ..तब से ही उस व्यक्ति का पतन शुरू हों जाता हें ..

बेहद तर्क पूर्ण और सत्यपरख तथ्य हें की क्या रामदेव बाबा जी को १००% सही मालूम हें की कितने रुपये किसके कहा पर हें  ...और क्या  ये सब सरकार के कहने पर काले धन के रूप में स्वीस बेंको में रखे गए हें .....
जरा सोचिये भारत देश आस्था  का देश हें यहाँ पर जेब कटने वाले की सजा कभी भी हाथ कटना नहीं हों सकती ...

किसी भी बाबा को अपनी भाषा व्यव्हार    आचार और विचार हमेशा  साफ रखना चाहिए ..एयर कंडीशन  में बैठ कर आमरण अनशन नहीं किया जाता आमरण अनशन का मतलब अन्न जल का त्याग मृत्यु  तक ... और बाबा बिसलेरी की बोतल से पानी पीते नजर आ रहे थे ...
अब  यदि ये ही बात हें की बाबा की बात क्योनही माने तो  हर आदमी सत्याग्रह करेगा ना देश  चलेगा ना ये सरकार  चलेगी ना काम काज होगा...
किसी भी प्रसिद्धि प्राप्त इन्सान को सोच समझ कर बोलना चाहिए ..
यहाँ में अवगत करा दू की हमारे एक महामंत्री इनदिनों अनावश्यक बोले ही जा रहे हें जो की उनकी गरिमा के खिलाफ हें नहीं बोलना चाहिए जिसका खामियाजाना हमारी पार्टी को उठाना पड़ेगा ...
किन्तु राम देव जी ने आपने बडबोले पन से उन कालाबाजारी और उन सब धन्नासेठो का काम लगवा दिया जिन्होंने अपने कालेधन की कमाई पाप से बचने के लिए पतंजलि में या कही अन्य गुप्त दान में  दी थी सोचिये और विचार दीजिये क्या मैरे तर्क ठीक हें या नहीं वेसे में पुलिस कार्यवाही जो रात में की गयी हें के प्रति अपना विरोध दर्ज करता हु 
-- 
नवीन सी दुबे 

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