Friday, January 28, 2011

समंदर की लहरों को 
पकड़ने की हर कोशिश नाकाम होती हें ...
हर पल हर बार वो जन्म ले कर
 नया  अंजाम लेती हें .....
रेत जल हवा पृथ्वी और मौत 
को कोई हाथो से ना पकड़ पाया ....
ये महल ढहाती हें ...
ये बाढ़  लाती हें...
ये आंधियाँ चलती हें ..
ये भूकंप लाती हें 
ये यमलोक पहुँचाती हें 
तो इसी कोशिश ना करो की हमको पछताना  पड़े 
समाज मे मुहं को शर्म से छिपाना  पड़े ....

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