Friday, February 4, 2011


कुदरत के भी कुछ नियम होते हें ....
अश्क को ओसं की बूंदों मे भिगोते हें .......
नादानी की हें हमने दरख्तों को काटने की ....
पशु पक्षी जिनके साये मे सोते हें .....
नासमझो ना छेड़ो इन बेजुबानो को....
कातिल इनके ख़ून के आंसू रोते हें 
कृपया  पेड़ बचाओ 
नवीन सी दुबे

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