Saturday, February 19, 2011

सही क्या ? ...  गलत क्या ?..समझ नहीं पता हूँ 
तुन्हें चाह कर ही तो मे चाहता हूँ .......
मायूसी  हाथ लगाती हें जब जान कर भी तुम्हे ना समझा पता हूँ ....
चलो कुछ रिश्ता बदल देते हें .....
मै वाहन आता हूँ ...तुमको यहाँ बुलाता हूँ .....


2##
अपना फ़साना मे सबके बीच गता नहीं ..
हर एक को हर बात मे बताता नहीं......
आँखों मे ही पड़ लेते हें दोस्त दर्दे दिल को ....
परेशानियाँ बता के मे अपनी सबको सताता नहीं ......नवीन सी दुबे 

No comments:

Post a Comment